जब सिर्फ एक वक्त का खाना खाते थे रोनित रॉय:पैसे नहीं थे तो रोटी-प्याज मांगी,

रोनित ने बताया कि उनकी पहली फिल्म के आने से पहले हालात बहुत खराब थे। उनके पास एक वक्त के खाने के भी पैसे नहीं होते थे। कई बार खाना भी छोड़ना पड़ता था।

बॉलीवुड— बॉलीवुड-टेलीविजन के जाने-माने अभिनेता रोनित रॉय ने हाल ही में अपने शुरुआती दिनों के संघर्षों पर खुलकर बात की। उनकी इस यात्रा में इतनी प्रमुख तस्वीरें और घटनाएँ जुड़ी हैं कि हर पाठक प्रेरणा से भर उठे।

🔸 मुंबई में संघर्ष की शुरुआत

रोनित ने मुंबई आकर सबसे पहले होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की और मॉडलिंग के साथ-साथ होटल में डिशवॉशर की नौकरी की — ताकि कुछ खाने-पीने का इंतजाम हो सके। उनकी पहली सैलरी महज ₹600 थी, जिसे उन्होंने अपनी माँ को भेजा था [oai_citation:0‡BollywoodShaadis](https://www.bollywoodshaadis.com/articles/ronit-roy-recalls-his-tough-days-before-making-acting-debut-in-1992-65794?utm_source=chatgpt.com)।

🔸 Jaan Tere Naam (1992) और उसके बाद की बेरोज़गारी

1992 में रोनित ने Jaan Tere Naam से धमाकेदार डेब्यू किया, जो कि उस समय 'सिल्वर जुबिली' कहलाई — मतलब 25 हफ्ते तक लगातार हिट रही, आधुनिक समय में ₹100–150 करोड़ की कमाई के बराबर ()। लेकिन इसके बावजूद अगले छह महीने तक उन्हें कोई अन्य काम नहीं मिला।

इसके बाद वे तीन साल तक 'कचरा कामों' में फंसते रहे, तब 1996 तक इंडस्ट्री से गायब हो गए। एक बयान में उन्होंने कहा:

“मैं चार साल तक घर पर बैठा रहा… पेट्रोल के पैसे नहीं थे, पेट भरने के लिए माँ के घर पैदल चला जाता था… लेकिन मैंने आत्महत्या नहीं की” ()।

🔸 भूख और दर्द भरे किस्से

हिंदी रश पोडकास्ट में रोनित ने बताया कि वह केवल एक समय का खाना खा पाते थे। काली दाल या पालक-पनीर के साथ दो रोटियाँ, यही उनकी रोज़ाना की सीमित थाली थी ()। एक दिन पैसे न होने की वजह से उन्होंने सिर्फ दो रोटियाँ और प्याज की मांग की, लेकिन ढाबे वाले ने कहा,

“कोई बात नहीं, आज आपका दाल का दिन है” ()।

उनके अनुसार आज भी वो ढाबा वाला उनका चेहरा याद रखता है और रोनित की आँखें उस एहसान को याद करके नम हो जाती हैं।

🔸 संघर्ष ने दी शराब की आदत और सुरक्षा एजेंसी की शुरुआत

लेखकीय और आर्थिक संकट में फँसकर रोनित ने एक गंभीर गलती की — शराब की लत लगा ली। कई बार सवेरे दोपहर तक भी उन्हें हैंगओवर रहता था ()।

उसी दौर में वे एक सुरक्षा एजेंसी स्थापित करने को मजबूर हुए, जो आज अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, सैफ अली खान जैसे सितारों को सुरक्षा प्रदान करती है ()। यह बदलाव "भूख, गरीबी और हताशा" से आए प्रतिक्रिया स्वरूप था ()।

🔸 टेलीविजन में वापसी और संघर्ष का सामना

बॉलीवुड में दावा ठोकने के बाद टेलीविजन की ओर रुख हुआ। पहली टीवी सीरियल Kammal (2002) में उन्होंने दिन के ₹1,200 लिए — इतना कम कि उनका ड्राइवर भी कहता था,

“जूनियर आर्टिस्ट ₹1,500 लेते हैं।” ()。

लेकिन रोनित ने इसे स्वीकार किया क्योंकि "काम वापस पाना ही लक्ष्य था" ()। इसके बाद उन्होंने Kasautii Zindagii Kay, Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi जैसे धारावाहिकों में दमदार भूमिकाएँ निभाईं, जो उनकी दूसरी जर्नी का मोड़ साबित हुए [oai_citation:1‡Wikipedia](https://en.wikipedia.org/wiki/Ronit_Roy?utm_source=chatgpt.com)।

🔸 सफलता की नई लहर

2010 में Udaan के साथ उनकी वापसी सिनेमा जगत में हुई, जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले ()। इसके बाद वे Boss, 2 States, Kaabil और कई अन्य फिल्मों में यादगार भूमिकाओं में दिखे।

आज रोनित रॉय कई आलीशान विला, सुरक्षा एजेंसी और डिजिटल/टेलीविजन परियोजनाओं के साथ एक सफल जीवन जी रहे हैं — जो उनकी ज़िन्दगी की अद्भुत पुनरुत्थान कहानी है [oai_citation:2‡Bollywood Hungama](https://www.bollywoodhungama.com/news/features/exclusive-four-years-after-my-debut-film-i-had-no-money-to-pay-rent-reveals-ronit-roy/?utm_source=chatgpt.com)।

🔸 निष्कर्ष और सीख

  • – पैसा और शोहरत अंतिम लक्ष्य नहीं होती; प्रक्रिया और धैर्य मायने रखते हैं।
  • – संघर्ष और असफलता से डरना नहीं चाहिए। रोनित कहते हैं, “आत्महत्या समाधान नहीं है।” ()।
  • – आत्मनिर्भरता और नए रास्ते तलाशना (जैसे सुरक्षा एजेंसी) इंसान की ताक़त को बताता है।
  • – छोटे से छोटे अहसान को याद रखना बड़ा स्नेह और मानवीयता है — जैसे वो ढाबे वाला जिसने मुफ्त दाल दी।

रोनित रॉय की कहानी सिर्फ एक अभिनेता की जर्नी नहीं है, बल्कि वह संघर्ष, असफलता, स्वावलंबन और अंततः सफलता का प्रमाण है। हर युवा जो अपने सपनों को लेकर यूपी और बिहार से मुंबई आता है, जिसके पास सिर्फ ₹6 और एक जुनून होता है, उसके लिए यह एक प्रेरक उदाहरण है।

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